Class 10 सामाजिक विज्ञान
पाठ-3
भारत में राष्ट्रवाद
भारत में राष्ट्रवाद नोट्स
भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत कैसे हुई
भारत में कई वर्षों से असंतोष चलते आ रहा था । प्राचीन काल से ही राष्ट्रवाद जीवित रहा है। अर्थ वेद में कहां है “वरुण राष्ट्र हो अविचल करें बृहस्पति राष्ट्र को स्थिर करें इंद्र राष्ट्र को शुरू करें अग्रिम देवराष्ट्र को निश्चित रूप से धारण करें” राष्ट्रवाद एकता की भावना जागृत करता है । भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत 19वीं शताब्दी से शुरू हुई थी। ब्रिटिश साम्राज्य की नीतियों और उनकी चुनौतियों से भारत में राष्ट्र के रूप में सोचना शुरू किया इसका आधारशीला ब्रिटिश शासन से हुई।
राष्ट्रवाद का अर्थः- अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना एकता की भावना तथा एक समान चेतना राष्ट्रवाद कहलाती है। यह लोग समान ऐतिहासिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक विरासत साझा करते है। कई बार लोग विभिन्न भाषाई समूह के हो सकते है (जैसे भारत) लेकिन राष्ट्र के प्रति प्रेम उन्हें एक सूत्र में बांधे रखता है।
भारत में राष्ट्रवाद Class 10 का कारण
- 1857 को भारत में राष्ट्रवाद Class 10 के उदय का मुख्य कारण माना जाता है। इसे सैनिक विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है।
- प्रेस और समाचार पत्र– भारत में राजा राममोहन ने राष्ट्र प्रेस की नींव रखी उन्होंने बंगाली भाषा में संवाद कौमुदी , फारसी मिरात–उल– अकबर जैसे लोगों की आवाज बने।ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने साप्ताहिक पत्र सोम प्रकाश शुरू किया जिसने राष्ट्रवाद की भावना जागृत की इसके अलावा अमृत बाजार पत्रिका केसरी हिंदू मराठा आदि समाचार पत्रों में ब्रिटिश स्कूल की नीतियों की आलोचना करें और राष्ट्र वाद की भावना जागृत की।
- पाश्चात्य शिक्षा और संस्कृति: अंग्रेजों ने भारतीयों को शिक्षित इसलिए नहीं किया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उन में राष्ट्रीय भावना जागृत हो उनका उद्देश्य ब्रिटिश प्रशासन में क्लर्क की नियुक्ति करना था उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार अपने लाभ की पूर्ति के लिए किया अंग्रेज अंग्रेजी राजनीतिक बायरन खुद ब्रिटिश की गलत नीतियों से जूझ रहे थे ।1833 अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया जिसमें संबंध, पाश्चात्य साहित्य विज्ञान की प्राप्ति हुई और राष्ट्रवाद की भावना जागृत करने में पाश्चात्य शिक्षा और संस्कृति ने इस प्रकार बड़ी भूमिका निभाई।
- आर्थिक नीतियां– ब्रिटिश का पैसा इंग्लैंड के लिए जाने लगा ईडी वाचा के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था इस तरह से चरमरा गई थी कि चार करोड़ भारतीय दिन में एक बार का खाना खाकर संतुष्ट होते थे। दादा भाई नौरोजी ने धन निष्कासन किस सिद्धांत को समझा कर लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा शोषण के बारे में जागृत किया।
- इल्बर्ट बिल– 1883 इसके अनुसार अंग्रेजों के ऊपर मुकदमे की सुनवाई का अधिकार भारतीयों से छीन लिया गया था इसमें हो रहे भेदभाव में भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत की।
- इस सरकार की गलत नीतियां– लॉर्ड रिपिन ने अपने शासनकाल में अंग्रेजी शासन के प्रति असंतोष की लहर पैदा हो गई। 1887 में दिल्ली दरबार उस समय किया गया जब दक्षिण भारत में अकाल, भुखमरी से लड़ रहा था।
भारत में राष्ट्रवाद Mind Map
1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम। |
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1870 बंकिमचंद्र द्वारा वंदेमातरम की रचना। |
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1885 में कांग्रेस की स्थापना बम्बई (मुम्बई) में हुई। व्योमेश चंद्र बनर्जी कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष बने। |
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1906 में आगा खां एवं नवाब सलीमुल्ला ने मुस्लिम लीग की स्थापना की। |
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1905 में अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता का चित्र बनाया। |
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1907 में कांग्रेस का विभाजन। नरम दल एवं गरम दल। |
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1911 में दिल्ली दरबार का आयोजन। |
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दिल्ली दरबार में बंगाल विभाजन को रद्द किया गया। |
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1914 में प्रथम विश्व युद्ध का आरम्भ। |
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1915 में महात्मा गाँधी की स्वदेश वापसी। |
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दिल्ली दरबार में राजधानी कोलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की गई। |
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1917 में महात्मा गाँधी ने नील कृषि के विरोध में चंपारण में आंदोलन किया। |
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1917 में महात्मा गाँधी ने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों के लिए सत्याग्रह किया। |
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1918 में महात्मा गाँधी ने गुजरात के अहमदाबाद में सूती कपड़ा मिल के कारीगरों के लिए सत्याग्रह किया। |
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1918 में प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति। |
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ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों की स्वशासन की मांग को दुकरा दिया। |
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ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों पर 1919 में रॉलट एक्ट जैसा काला कानून दिया। |
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महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन की शुरूआत की। |
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1919 में खिलाफत आंदोलन की शुरूआत मुहम्मद अली व शौकत अली ने की। |
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13 अप्रैल 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ। |
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1922 में चौरी-चौरा में हुई हिंसक घटना के बाद महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। |
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1 अगस्त 1925 को काकोरी में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी खजाना ले जा रही ट्रेन को लूट लिया। |
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1928 में साइमन कमीशन भारत आया जिसका विरोध करते हुए लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई। |
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6 अप्रैल 1930 को दाण्डी पहुँच कर महात्मा गाँधी नमक कानून तोडा। व सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की। |
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12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने साबरमती से दाण्डी यात्रा आरम्भ की। |
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8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने असेम्बली पर बम फेंका। |
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1930 में डॉ. अम्बेडकर ने अनुसूचित जातियों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया। |
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22 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरू को फांसी दे दी गई। |
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1931 गांधी-इरविन समझौता व सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस ले लिया। |
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1931 में महात्मा गाँधी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया। परंतु उन्हें वहाँ अपेक्षित सफलता हाथ नहीं। |
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1932 में महात्मा गांधी एवं अम्बेडकर के मध्य पूना पैक्ट हुआ। |
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1933 में चौधरी रहमत अली ने सर्वप्रथम पाकिस्तान का विचार सामने रखा। |
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1935 में भारत शासन अधिनियम पारित हुआ व प्रांतीय सरकार का गठन |
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1939 में द्वितीय विश्व युद्ध का आरंभ। |
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1940 के मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवशेन में पाकिस्तान की मांग का संकल्प पास किया गया। |
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1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत व गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया। |
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1945 मे अमेरीका ने जापान पर परमाणु हमला किया व द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया। |
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1946 में कैबिनेट मिशन संविधान सभा के प्रस्ताव के साथ भारत आया। |
प्रथम विश्व युद्ध, खिलाफत तथा असहयोग
प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर प्रभाव तथा युद्ध पश्चात परिस्थितयाँ
- एक नई आर्थिक और राजनीतिक स्थिति का जन्म
- रक्षा बजट में भारी बढ़ोतरी जिसकी भरपाई कर्जा लेकर व करो में वृद्धि करके।
- सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया तथा आयकर शुरू किया गया।
- ब्रिटिश सेना के लिए सिपाहियों की जबरन भर्ती।
- फसल नष्ट हो जाने की वजह से खाद्यान्न की भारी कमी।
- फलू की महामारी तथा अकाल की वजह से लाखों लोगों की मृत्यु।
सत्याग्रह का विचार
अर्थः– यह सत्य तथा अहिंसा पर आधारित एक नए तरह का जन आंदोलन करने का रास्ता था।
सत्याग्रह के मुख्य बिंदुः
- अगर आपका उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है, तो उत्पीड़क से लड़ने के लिए किसी शारिरिक बल की आवश्यकता नहीं है।
- सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे बिना किसी प्रतिशोध की भावना या आक्रमकता का सहारा लिए बिना भी सफल हो सकता है।
- उत्पीड़क की चेतना का झिझोड़कर उसे सच्चाई को स्वीकार करने तथा दमन का अंत करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
महात्मा गाँधी द्वारा भारत में किए गए सत्याग्रह के आरंभिक प्रयोग।
- चंपारण ( बिहार ) 1917 में दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ नील की खेती करने वाले किसानों को प्रेरित किया।
- 1917 में खेड़ा गुजरात ) किसानो को कर में छूट दिलाने के लिए उनके सघर्ष में समर्थन दिया। फसल ख़राब हो जाने व प्लेग महामारी के कारण किसान लगान चुकाने की हालत में नहीं थे।
- अहमदाबाद गुजरात 1918 में कपडा कारखानों में काल करने वाले मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह आंदोलन।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड
- 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में घटित हुआ। कानून का विरोध प्रकट करने के लिए एकत्रित हुए थे।
- शहर से बाहर के होने के कारण वहाँ जुटे लोगों को ये पता नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका था।
- जनरल डायर वहाँ पहुँचा, मैदान से बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद कर दिये तथा भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला दी।
- सैकड़ो लोग मारे गए।
जलियावाला बाग हत्याकांड का प्रभावः
- भारत के बहुत सारे शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए।
- हड़ताले होने लगी, लोग पुलिस से मोर्चा लेने लगे और सरकारी इमारतों पर हमला करने लगे।
- सरकार ने निर्ममतापूर्ण रवैया अपनाया तथा लोगों को अपमानित और आतंकित किया।
- सत्याग्रहियो को जमीन पर नाक रगड़ने के लिए, सड़क पर घिसटकर। चलने और सारे ‘साहिबों’ (अंग्रेजों) को सलाम करने के लिए मजबूर किया गया।
- लोगों को कोड़े मारे गए तथा गुजरांवाला (पंजाब) के गांवों पर बम बरसाये गए।
- हिंसा फैलते देख महात्मा गांधी ने रॉलट सत्याग्रह वापस ले लिया।
खिलाफत आन्दोलन (1919)–
खिलाफत शब्द ‘खलीफा’ से निकला हुआ है जो ऑटोमन तुर्की का सम्राट होने के साथ-साथ इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता भी था। प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार हुई थी यह अफवाह फैल गई थी कि तुर्की पर एक अपमानजनक संधि थोपी जाएगी। इसलिए खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च 1919 में अली बंधुओं द्वारा बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।
- खिलाफत आन्दोलन के जरिए महत्मा गाँधी हिन्दू और मुसलमानों को एक साथ सके
- खिलाफत आन्दोलन का नेत्रित्व शौकत अली और मोहम्मद अली ने किया
- खिलाफत के समर्थन में गांधीजी ने स्वराज के लिए असहयोग आन्दोलन शुरू करने के लये राज़ी हो गए
- खिलाफत के समर्थन में बॉम्बे में एक खिलाफत कमिटी बने गई
महात्मा गांधी ने क्यों खिलाफत का मुद्दा उठायाः-
रॉलट सत्याग्रह की असफलता के बाद से ही महात्मा गांधी पूरे भारत में और भी ज्यादा जनाधार वाला आंदालन खड़ा करना चाहते थे। उन्हे विश्वास था कि बिना हिंदू और मुस्लिम को एक दूसरे के समीप लाए ऐसा कोई अखिल भारतीय आंदोलन खड़ा नही किया जा सकता इसलिए उन्होने खिलाफत का मुद्दा उठाया।
असहयोग आंदोलन
( असहयोग आंदोलन जनवरी 1921- फरवरी 1922 )
- 1909 स्वराज पुस्तक में लिखा भारत में अग्रेजी राज इसलिए स्थापित हो पाया क्योंकि भारत के लोगो ने उनका साथ दिया।
- गांधीजी का मानना था की अगर भारतीय अग्रेजो का सहयोग करना बंद कर दे तो उनके पास भारत छोडने के अलावा कोई रास्ता नही रहेगा।
असहयोग आन्दोलन के कुछ प्रस्ताव :
- अग्रेजो सरकार द्वारा दी गयो सारी उपाधियो को वापस करना।
- सिविल सर्विस , सेना पुलिस , कोर्ट , लेजिस्लेटिव काउन्सिल का बहिस्कार करना।
- विदेशी समानों का बहिस्कार किया गया , विदेशी कपड़ो की होली जलाई गाई ।
- आदिवासियो का आन्दोलन हिंसक हो गया
- विद्रोहियों ने पुलिस स्टेशन पर हमला किया , 1924 को राजू को पकड़ लिया और उन्हें फ़ासी दे दी गई ।
- बगान में काम कर रहे श्रमिको के लिए चारदीवारी से बाहर आना आज़ादी था ।
- 1859 अंतर्देशीय उत्प्रवास अधिनियमजिसमे बगान में काम करने वाले श्रमिको का बाहर जाना मना था ।
असहयोग क्यों?
- भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना भारतीयों के सहयोग से हुई थी।
- यदि भारतीय अपना सहयोग वापस ले ले तो ब्रिटिश शासन रह जाएगा।
असहयोग आंदोलन के चरण
- सरकार द्वारा दी गई पदवियाँ लौटाना सरकारी नौकरी, सेना पुलिस, अदालत तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार |
- व्यापक सविनय अवज्ञा आंदोलन।
असहयोग आंदोल से संबंधित कांग्रेसी अधिवेशन
- सितंबर 1920- असहयोग पर स्वीकृति अन्य नेताओ द्वारा
- दिसंबर 1920- स्वीकृति पर मोहर तथा इसकी शुरूआत पर सहमति।
विभिन्न सामाजिक समूह जिन्होने भाग लिया शहरो में-
- मध यवर्ग-विद्यार्थी, शिक्षक, वकील
- ग्रामीण इलाकों में- किसान व आदिवासी
- बागानों में- मजदूर
आंदोलन के दोहरे लक्ष्य
- स्वराज की प्राप्ति
- खिलाफत के मुद्दे को समर्थन ताकि हिंदु मुस्लिम एकता लाई जा सके।
आंदोलन की समाप्ति –
- फरवरी 1922 में महात्मा गांधी ने आंदोलन वापस ले लिया क्योंकि चौरी चौरा में हिंसक घटना हो गई थी।
आंदोलन के भीतर अलग-अलग धाराएँ
- विभिन्न सामाजिक समूहों ने आंदोलन में हिस्सा लिया परंतु प्रत्येक वर्ग की अपनी अपनी आकांक्षाएँ थी।
- सभी के लिए ‘स्वराज’ का अर्थ भिन्न था।
- प्रत्येक सामाजिक समूह ने आंदोलन में भाग लेते हुए ‘स्वराज’ का मतलब एक ऐसा युग लिया जिसमें उनके सभी कष्ट और सारी मुसीबते खत्म हो जाएंगी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन की ओर
- असहयोग आंदोलन की समाप्ति से लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन के शुरू होने तक की मुख्य घटनाएँ
- फरवरी 1922- गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लेना।
- प्रांतीय परिषद चुनाव में हिस्सा लेने को लेकर कांग्रेस के नेताओं मे आपसी मतभेद।
- सी. आर दास तथा मोती लाल नेहरू द्वारा ‘स्वराज पार्टी’ (जनवरी 1923) का गठन ताकि प्रांतीय परिषद के चुना में हिस्सा ले सकें।
- विश्वव्यापी आर्थिक मंदी की वजह से कृषि उत्पाद की कीमतों में भारी गिरावट।
- ग्रामीण इलाकों में भारी उथल पुथल।
- 1927 में ब्रिटेन में साइमन कमिशन का गठन ताकि भारत में सवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन किया जा सके।
- 1928- साइमन कमीशन का भारत आना- पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन।
- 1929- लॉर्ड इरविन द्वारा ‘डोमिनियन स्टेटस’ का ऐलान।
- कांग्रेस के भीतर जवाहर लाल नेहरू तथा सुभाष चंद्र बोस जेसे तेज तर्रार व आक्रामक तेवर वाले नेताओं का उदय।
- 1929 लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग।
गोलमेज सम्मेलन
ये तीन सम्मेलन लंदन में आयोजित किए गए थे ताकि भारत के भावी संविधान पर चर्चा की जा सके।
- प्रथम द्वितीय – (नवंबर 1930- जनवरी 1931)
- द्वितीय – (सितंबर 1931 – दिसंबर 1931)
- तृतीय – (नवंबर दिसंबर 1932)
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा सिर्फ द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया गया।
- नमक यात्रा और असहयोग आंदोलन (1930)
पृष्ठभूमि
- जनवरी 1930 में महात्मा गांधी ने लार्ड इरविन के समक्ष अपनी 11 मांगे रखी।
- ये मांगे उद्योगपतियो से लेकर किसान तक विभिन्न तबके से जुड़ी हुई थी।
- इनमें सबसे महत्वपूर्ण मांग नमक कर को खत्म करने की थी।
- लार्ड इरविन इनमें से किसी भी माँग को मानने के लिए तैयार नही थे।
- 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी द्वारा नमक यात्रा की शुरूआत।
- 6 अप्रैल 1930 को नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन।
- यह घटना सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत थी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन
- 6 अप्रैल 1930 – मार्च-1931 (गांधी इरविन समझौते की वजह से स्थगित)
- 1932 दुबारा शुरूआत
- 1934 स्वतः समाप्त
मुख्य घटनाएँ:
- देश के विभिन्न हिस्से में नमक कानून का उल्लंघन
- विदेशी वस्तुओ का बहिष्कार
- शराब की दुकानो की पिकेटिंग
- वन कानूनों का उल्लंघन
ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रियाः
- कांग्रेस नेताओं का हिरासत में लिया गया।
- निर्मम दमन
- शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों पर आक्रमण।
- महिलाओं व बच्चों की पिटाई
- लगभग 1,00,000 गिरफ्तार
आंदोलन में भाग लेने वालेः
- अमीर किसान- ऊँचे लगान के विरोध में
- गरीब किसान- ऊँचा भाड़ा तथा ऊँचा लगान
- व्यवसायी वर्ग- औपनिवेशिक सरकार की व्यवसायिक नीतियों के खिलाफ
- महिलाएं- महात्मा गांधी से प्रेरित होकर
- कुछ स्थानों पर मजदूर
यह कैसे असहयोग आंदोलन से अलग था?
- असहयोग आंदोलन में लक्ष्य ‘स्वराज’ इस बार ‘पूर्ण स्वराज’
- असहयोग में कानून का उल्लंघन शामिल नही था जबकि इस आंदोलन में कानून तोड़ना शामिल था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन की सीमाएँ:
- अनुसूचित की भागीदारी नहीं थी क्योंकि लंबे समय से कांग्रेस इनके हितों की अनदेखी कर रही थी।
- मुस्लिम संगठनो द्वारा सविनय अवज्ञा के प्रति कोई खास उत्साह नही था क्योंकि 1920 के दशक के मध्य से कांग्रेस ‘हिंद महासभा’ जैसे हिंद धार्मिक संगठनों के करीब आने लगी थी।
- दोनो समुदायो के बीच संदेह और अविश्वास का माहौल बना हुआ था।
सामूहिक अपनेपन का भाव
वे कारक जिन्होने भारतीय लोगों में सामूहिक अपनेपन की भावना को जगाया तथा सभी भारतीय लोगों को एक किया।
- चित्र व प्रतीकः- भारत माता की प्रथम छवि बंकिम चन्द्र द्वारा बनाई गई। इस छवि के माध्यम से राष्ट्र को पहचानने में मदद मिली।
- लोक कथाएँ:- राष्ट्रवादी घूम घूम कर इन लोक कथाओं का संकलन करने लगे ये कथाएँ परंपरागत संस्कति की सही तस्वीर पेश करती थी तथा अपनी राष्ट्रीय पहचान को ढूढने तथा अतीत में गौरव का भाव पैदा करती थी।
- चिन्ह:- उदाहरण झंडा- बंगाल में 1905 में स्वदेशी आंदोलन के दौरान सर्वप्रथम एक तिरंगा (हरा, पीला, लाल) जिसमें 8 कमल थे। 1921 तक आते आते महात्मा गांधी ने भी सफेद, हरा और लाल रंग का तिरंगा तैयार कर लिया था।
- इतिहास की पुर्नव्याख्याः – बहुत से भारतीय महसूस करने लगे थे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाना चाहिए बाकि भारतीय गर्व का अनुभव कर सकें।
- गीत जैसे वंदे मातरमः- 1870 के दशक में बंकिम चन्द्र ने यह गीत लिखा मातृभूमि की स्तुति के रूप में। यह गीत बंगाल के स्वदेशी आंदोलन में खूब गाया गया।
कुछ रोचक तथ्य
- जब भारत आजाद हुआ तब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लाइमेंट एटली थे।
- सुभाष चंद्र बोस ने- ‘दिल्ली चलो’ एवं ‘तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा’ का नारा दिया।
- बाल गंगाधर तिलक ने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मै इसे लेकर रहूंगा’ का नारा दिया।
- रामप्रसाद बिस्मिल ने सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुएं कातिल में है का नारा दिया। .
- भगत सिंह ने ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा दिया।
पाठ 3. भारत में राष्ट्रवाद प्रश्न अभ्यास
बहुवैकल्पिक प्रश्न (1 अंक वाले):
प्रश्न 1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई?
- 1884
- 1882
- 1888
- 1885
उत्तर-(4) 1885
प्रश्न 2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष कौन थे?
- दादाभाई नौरोजी
- सुरेन्द्र नाथ बनर्जी
- व्योमेश चन्द्र बैनर्जी
- गोपाल कृष्ण गोखले
उत्तर-(3) व्योमेश चन्द्र बैनर्जी
प्रश्न 3. 1922 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन क्यों वापस लिया?
- अग्रेजी सरकार के दबाव में आकर
- भारतीय लोगों द्वारा सहयोग न मिलने के कारण
- चौरा-चौरी में हिसांत्मक घटना के कारण
- उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(3) चौरा-चौरी में हिसात्मक घटना के कारण
प्रश्न 4. ‘हिंद स्वराज’ नामक पुस्तक की रचना किसके द्वारा की गयी?
- जवाहर लाल नेहरू
- डॉ राजेन्द्र प्रसाद
- रवीन्द्र नाथ टैगोर
- महात्मा गाँधी
उत्तर- (4) महात्मा गाँधी
प्रश्न 5. मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई?
- 1885 ई० में
- 1906 ई० में
- 1909 ई० में
- 1916 ई० में
उत्तर-(2) 1906 ई० में
प्रश्न 6. गाँधी जी ने किस वर्ष बिहार के चंपारन इलाके का दौरा किया?
- 1916 ई० में
- 1917 ई० में
- 1918 ई० में
- 1919 ई० में
उत्तर-(2) 1917 ई० में
प्रश्न 7. असहयोग खिलाफत आंदोलन कब शुरू हुआ?
- जनवरी 1920
- जनवरी 1922
- जनवरी 1929
- जनवरी 1930
उत्तर- (1) जनवरी 1920
प्रश्न 8. असहयोग आंदोलन के दौरान अवध में किसानों का नेतृत्व किसने किया?
- जवाहर लाल नेहरू
- बाबा रामचन्द्र
- शौकत अली
- महात्मा गांधी
उत्तर – (2) बाबा रामचंद्र
प्रश्न 9. आंध्र प्रदेश की गुडेम पहाड़ियों में आदिवासी किसानों के विद्रोह का नेतृत्व किसने किया?
- बाबा रामचन्द्र
- अल्लूरी सीताराम राजू
- अब्दुल गफार खाँ
- सी रामचन्द्रन
उत्तर- (2) अल्लूरी सीताराम राजू
प्रश्न 10. किस दशक की शुरूआत में उग्र गुरिल्ला आंदोलन फैला था?
- 1920 के दशक में
- 1910 के दशक में
- 930 के दशक में
- 1940 के दशक में
उत्तर-(1) 1920 के दशक में
प्रश्न 11. ‘वन्देमातरम् राष्ट्रीय गीत किसने लिखा था?
- अबनीद्रनाथ टैगोर
- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- बंकिम चंद्र चटर्जी
- मुहम्मद इकबाल
उत्तर-(2) रवीन्द्रनाथ टैगोर
प्रश्न 12. पूना पैक्ट क्या था?
- गाँधी जी और डॉ अम्बेडकर के बीच समझौता हुआ था।
- अंग्रेजों और मुहम्मद अली जिन्ना में बीच समझौता हुआ था।
- गाँधी जी और मुहम्मद अली जिन्ना के बीच समझौता हुआ था।
- उपर्युक्त में से कोई नही।
उत्तर-(1) गाँधी जी और डॉ अम्बेडकर के बीच समझौता हुआ था।
प्रश्न 13. डिस्कवर ऑफ इंडिया पुस्तक का लेखक कौन था?
- सुभाष चन्द्र बोस
- बाल गंगाधर तिलक
- जवाहर लाल नेहरू
- लाला लाजपत राय
उत्तर-(3) जवाहर लाल नेहरू
प्रश्न 14. अवनीद्रनाथ टैगोर कौन थे?
- राजनैतिक नेता
- वैज्ञानिक
- चित्रकार
- अर्थशास्त्री
उत्तर-(3) चित्रकार
प्रश्न 15. ‘द फोकलोर्स ऑफ सदर्न इंडिया’ किसने लिखी थी?
- अवनींद्रनाथ टैगोर
- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- राजा रवि वर्मा
- नातेसा शास्त्री
उत्तर-(1) अवनींद्रनाथ टैगोर
प्रश्न 16. सन् 1929 में किस शहर में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की गई थी?
- मुम्बई
- दिल्ली
- कलकत्ता
- मद्रास
उत्तर- (2) दिल्ली
प्रश्न 17.द फोकलोर्स ऑफ सदर्न इंडिया नामक लोककथाओं के संकलन वाली किताब निम्न में से किस भाषा में छापी गई थी?
- बंगाली
- तमिल
- कन्नड़
- उड़िया
उत्तर- (2) तमिल
प्रश्न 18. गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ किन महम्वपूर्ण घटनाओं के साथ किया ?
उत्तर-
- नमक कानून तोड़ कर
- स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर व विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके।
प्रश्न 19. किसके नेतृत्व में अवध किसान सभा का गठन किया गया ?
उत्तर- बाबा रामचंद्र
प्रश्न 20. साइमन कमीशन कब भारत पहुंचा व इसका विरोध क्यों हुआ?
उत्तर- यह 1927 में भारत पहुँचा। किसी भारतीय सदस्य को इसमें न शामिल किए जाने के कारण इसका विरोध हुआ।
प्रश्न 21. दक्षिण अफ्रीका से आने के बाद गाँधीजी ने किन स्थानों पर सत्याग्रह आआंदोलन चलाया?
उत्तर
- चम्पारन
- खेड़ा
- अहमदाबाद
प्रश्न 22. मद्रास की नटेसा शास्त्री ने तमिल क किस विशाल संकलन की चार खंडों में प्रकाशित किया ?
उत्तर- ‘द फोकलीस ऑफ सदन इंडिया’
प्रश्न 23. सत्याग्रह के विचार में किन दो बातों पर जोर दिया जाता है?
उत्तर
- सत्य की शक्ति पर आग्रह
- सत्य की खोज
प्रश्न 24. रॉलेट एक्ट को काला कानून क्यों कहा गया ?
उत्तर- इस अन्यायपूर्ण एक्ट के द्वारा राजनैतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया।
प्रश्न 25. वंदे मातरम् गीत कब और किसने लिखा ? इसमें किसका गुणगान किया गया है?
उत्तर- 1870 में बंकिम चन्द्र चटर्जी ने लिखा। इसमें भारत माता का गुणगान किया गया है।
प्रश्न 26. ब्रिटिश सरकार ने 1857 के पश्चात प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध क्यों लगा दिया ?
उत्तर- भारतीय समाचार पत्रों द्वारा राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के कारण।
प्रश्न 27. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई और कहाँ?
उत्तर- 1885 में
प्रश्न 28. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के पहले अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर- व्योमेश चन्द्र बनर्जी
प्रश्न 29. 1922 में महात्मा गांधी ने असहयोग आदोलन क्यों वापस लिया ?
उत्तर- चौरी-चौरा में हिंसात्मक घटना के कारण
प्रश्न 30. ‘हिंद स्वराज’ नामक पुस्तक की रचना किसके द्वारा की गई?
उत्तर- महात्मा गाँधी
प्रश्न 31. मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई ?
उत्तर- 1906 में
प्रश्न 32. गाँधी जी ने किस वर्ष बिहार के चंपारन इलाके का दौरान किया ?
उत्तर-1917 ई में
प्रश्न 33. असहयोग व खिलाफत आदोलन कब शुरू हुआ?
उत्तर- जनवरी 1920 ई. में
प्रश्न 34. असहयोग आंदोलन के दौरान अवध में किसानों का नेतृत्व किसने किया ?
उत्तर- बाबा रामचन्द्र
प्रश्न 35. आंध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में आदिवासी किसानों के विद्रोह का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर- अल्लूरी सीताराम राजू
प्रश्न 36. किस दशक की शुरूआत में उग्र गुरिल्ला आंदोलन फैला था ?
उत्तर- 1920 के दशक में
प्रश्न 37. पूना पैक्ट किनके बीच हुआ था ?
उत्तर- गाँधी जी और डा. अम्बेडकर के बीच समझौता हुआ।
प्रश्न 38. डिस्कवरी ऑफ इंडिया पुस्तक का लेखक कौन था ?
उत्तर- जवाहर लाल नेहरू
प्रश्न 39. अवनीद्रनाथ टैगोर कौन थे?
उत्तर- चित्रकार
प्रश्न 40. खिलाफत आन्दोलन किसने शुरू किया था ?
उत्तर- अली भाइयों (मुहम्मद अली, शौकत अली)
प्रश्न 41. साइमन कमीशन भारत कब पहुंचा था?
उत्तर-1928
प्रश्न – 42. काग्रेस में समाजवादी विचारधारा लाने वाले दो नेताओं का नाम बताइए।
उत्तर-
- जवाहर लाल नेहरू
- सुभाष चन्द्र बोस
लघु उत्तर वाले प्रश्न (3/5 अंक):
प्रश्न 1.- असहयोग आंदोलन के किन्ही तीन प्रभावों का वर्णन कीजिए?
उत्तर –
- खिलाफत तथा असहयोग आंदोलन एक साथ चलाया जाय।
- इसको अलग-अलग चरणों में चलाना।
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार स्वदेशी वस्तु अपनाना
- अंग्रेजों द्वारा दी गयी उपाधि को वापस करना।
- सरकारी कार्यालय स्कूल आदि को छोड़ना।
प्रश्न 2. खिलाफत आंदोलन को प्रारम्भ करने के प्रमुख कारण कौन से थे?
उत्तर –
- तुर्की साम्राज्य (खलीफा) का अंग्रेजों द्वारा अपमान
- लखनऊ समझौते (1916) के बाद कांग्रेस के साथ मुस्लिम लीग का समझौता
- असहयोग आंदोलन कांगेस द्वारा आंरभ होना तथा मुसलमानों का मिलकर खिलाफत आंदोलन के साथ करना।
प्रश्न 3. असम में बागान मजदूरों के लिए स्वराज की अवधारणा क्या थी?
उत्तर –
- अनुबंध के नियमों का उल्लंघन।
- चाय बगानों से बाहर निकलना।
- असहयोग आंदोलन में सम्मिलित होना।
- कृषि भूमि तथा सुख-साधनों को प्राप्त करना।
प्रश्न 4. भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध क्यों किया?
उत्तर –
- समय से पहले गठन करना।
- शासन में सुधार जैसी कोई बात नहीं।
- एक भी भारतीय को इसमें सम्मिलित नहीं किया गया।
प्रश्न 5. भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे?
उत्तर –
- यह एक काला कानून था।
- इस कानून के अंतर्गत किसी को लम्बे समय तक जेल में डाला जा सकता था।
- यह प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ही भारतीय जनता को नियन्त्रण में करने के लिए लाया गया था।
- विश्व युद्ध के बाद इसे खत्म करना था परन्तु सरकार ने इसे बनाये रखा। इसका विरोध भारत की आम जनता ने किया।
प्रश्न 6. गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर –
- असहयोग आंदोलन अंहिसा पर आधारित था।
- आंदोलनकारियों में निरसता आ गई थी।
- चौरा-चौरी में आंदोलनकारियों द्वारा 22 पुलिस वालों को चौकी में जिंदा जलाया जाना।
प्रश्न 7. गाँधी-इरविन समझौते की विशेषताएं बताइए?
उत्तर –
- 5 मई 1931 ई० को गाँधी इरविन समझौता।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित कर दिया जाय।
- पुलिस द्वारा किए अत्याचारों की निष्पक्ष जाँच की जाय।
- नमक पर लगाए गए सभी कर हटाए जाएँ।
प्रश्न 8. सविनय अवज्ञा आंदोलन पर टिप्पणी लिखो?
उत्तर –
- गाँधी जी ने सन् 1930 को दांडी नामक स्थान पर नमक कानून तोड़कर शुरू किया।
- 1934 तक आंदोलन का चलना।
- गाँधी जी ने विद्यार्थियों को स्कूल एवं कॉलेजों, विद्यायकों विधान पालिका विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार आरंभ करना।
- स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना।
- मुस्लिम एकता पर बल देना।
प्रश्न 9.1916 ई० के लखनऊ समझौते का क्या महत्व था?
उत्तर –
- कांग्रेस के नरम दल और गरम दल का एक मंच पर आना।
- कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता
- दोनो ने संयुक्त होकर अंग्रेजो से अपनी मांगों को लेकर सामना करना।
- बाल गंगाधर तिलक का इसमें बड़ा योगदान था।
प्रश्न 10. आजूरी सीताराम राजू कौन थे? असहयोग आंदोलन में उनके योगदान को बताइये?
उत्तर- आजूरी सीताराम राजू ने आंध्र प्रदेश की गुडेम पहाड़ियों के आदिवासी किसानों का नेतृत्व किया।
- ये एक रोचक व्यक्ति थे। इन्हें खगोलीय ज्ञान प्राप्त था।
- लोगो का मानना था कि उनके पास विशेष शक्तियां है जिससे वह लोगो को स्वस्थ कर सकते है।
- ये गाँधी जी के प्रशंसक थे।
- उन्होंने लोगो को खादी पहनने तथा शराब छोड़ने को कहा।
- उन्होंने हिंसा द्वारा ही अपनी बात मनवाने को कहा।
- 1924 को राजू को फांसी पर लटका दिया गया।
प्रश्न 11. असहयोग आंदोलन आरंभ किए जाने के क्या कारण थे? इस आंदोलन में समाज के विभिन्न वर्गों की हिस्सेदारी पर प्रकाश डालिए। इसके कार्यक्रम कार्य पद्धति, प्रगति एवं अंतत: समाप्ति को समझाइए।
उत्तर-आदोलन के कारण :
- प्रथम महायुग की समाप्ति पर अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता का शोषण।
- अंग्रेजों द्वारा स्वराज प्रदान करन से मुकर जाना।
- रॉलेट एक्ट का पारित होना
- जलियाँवाला बाग हत्याकांड
- कलकत्ता अधिवेशन में 1920 में कांग्रेस द्वारा असहयोग आदोलन का प्रस्ताव बहुमत से पारित।
विभिन्न वर्गों की हिस्सेदारी :
- शहरों में आन्दोलन
- ग्रामीण इलाकों में विद्रोह
- आदिवासी क्षेत्रों में विद्रोह
- बागानों में स्वराज
कार्यपद्धति, प्रगति –
- चरणबद्ध योजना प्रक्रिया।
- प्रथम चरण – सरकारी पदवियों, नौकरियों, सेना, पुलिस, स्कूलों, विद्यार्थी परिषदों व विदेशी वस्तुओं का त्याग।
- दूसरा चरण – व्यापक स्तर पर सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ होना शामिल था।
समाप्ति – गाँधी जी द्वारा चौरी-चौरा में हुई हिंसक घटना के फलस्वरूप आंदोलन वापस ले लिया गया।
प्रश्न 12. खिलाफत आंदोलन को प्रारम्भ करने के मुख्य कारण कौन से थे? भारतीय राष्ट्र आंदोलन में उसका क्या योगदान था ?
उत्तर- तुकों साम्राज्य (खलीफा) का अंग्रेजों द्वारा अपमान। लखनऊ समझौते (1916) के बाद कांग्रेस के साथ मुस्लिम लीग का समझौता। असहयोग आदोलन कांग्रेस द्वारा आरंभ होना तथा मुसलमानों को मिलाकार खिलाफत आंदोलन के साथ करना।
योगदान:
- हिंदुओं और मुसलमानों में एकता का बीजारोपण।
- राष्ट्रीय आंदोलन को बल मिला।
प्रश्न 13. सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति लोगों और औपनिवेशिक सरकार ने किस प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त की ? किन परिस्थितियों में गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आदोलन को वापस लेने का निर्णय लिया।
उत्तर- लोगों ने सरकारी कानूनों को भंग करना शुरू कर दिया। आंदोलन को दबाने के लिए सरकार ने कठोरता से काम लिया। हजारों जेल गए। गाँधीजी को कैद कर लिया गया। अब जनता इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेने लगी।
प्रश्न 14. सक्रिय राजनीति में भाग लेने से पूर्व गाँधीजी ने किन-किन स्थानों पर सत्याग्रह आंदोलन किए ? इनके प्रारंभ होने के क्या कारण थे?
उत्तर –
- 1916 में चापारन सत्याग्रह – नील की खेती करने वाले किसानों के पक्ष में।
- खेड़ा सत्याग्रह (1917) – किसानों को लगान में छूट दिलवाने के लिए।
- अहमदाबाद में मिल मजदूर हड़ताल (1918) प्रश्न
प्रश्न – 15 ‘प्रथम विश्वयुद्ध’ ने एक नई आर्थिक व राजनीतिक स्थिति पैदा कर दी। समीक्षा कीजिए।
उत्तर –
- प्रथम विश्व युद्र के उपरांत स्वराज देने का वचन नकार दिया गया।
- आर्थिक स्थिति दयनीय- बेरोजगारी व बेकारी से मजदूर, शिल्पकार आदि सभी ग्रसित थे।
- युद्ध ने राष्ट्रीयता के भाव जागृत किए। लोग दमनकारी सरकार के विरूद्र एकजुट हुए।
प्रश्न 16. गाँधीजी की नमक यात्रा कई कारणों से उल्लेखनीय थी। समीक्षा कीजिए। सविनय अवज्ञा आंदोलन की सीमाएँ क्या थी ? इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
- नमक कर ब्रिटिश सरकार का सबसे दमनात्मक पहलू बताया गया।
- गाँधीजी द्वारा विश्वस्त वालंटियरों के साथ नमक यात्रा शुरू।
- राष्ट्रीय आंदोलन से आम आदमी के मुद्दे को जोड़ना।
- कानून का उल्लंघन। प्रदर्शन व विदेशी चीजों का बहिष्कार
- शराब की दुकानों पर पिकेटिंग।
- सभी लोग स्वराज की अमूर्त अवधारणा से प्रभावित नहीं थे।
- समाज के सभी वर्गों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा नहीं लिया।
- समाज के वर्ग एक दूसरे की तरफ संशकित थे।
प्रश्न 17. भारत में राष्ट्रवाद की भावना पनपने में किन कारकों का योगदान था? राष्ट्रवाद के विकास का विश्व पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर –
- साहित्य, लोक कथाओं, गीतो व चित्रों के माध्यम से राष्ट्रवाद का प्रसार ।
- भारत माता की छवि रूप लेने लगी।
- लोक कथाओं द्वारा राष्ट्रीय पहचान।
- चिन्हों और प्रतीकों के प्रति जागरूकता। उदाहरण झांडा।
- इतिहास की पुनव्यख्यिा ।
प्रश्न 18. असम में बागान मज़दूरों के लिए स्वराज की अवधारणा क्या थी?
उत्तर –
- अनुबंध के नियमों का उल्लंघन।
- चाय बगानों से बाहर निकलना।
- असहयोग आदोलन में सम्मिलित होना।
- कृषि भूमि तथा सुख सुविधाओं को प्राप्त करना।
प्रश्न 19. भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध क्यों किया?
उत्तर –
- समय से पहले गठन।
- शासन में सुधार जैसी कोई बात नहीं।
- एक भी भारतीय शामिल नहीं किया गया।
प्रश्न 20. भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे?
उत्तर –
- यह एक काला कानून था। 2. इस कानून के अंतर्गत किसी को लंबे समय तक जेल में डाला जा सकता था। 3. विश्व युद्ध के बाद इसे खत्म करना था पर सरकार ने इसे बनाए रखा। इसका विरोध आम जनता ने किया।
प्रश्न 21. गाँधी-इर्विन समझौते की विशेषताएँ क्या थीं ?
उत्तर –
- 5 मई 1931 ई. को गाँधी इरविन समझौता।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित कर दिया जाये।
- पुलिस द्वारा किए अत्याचारों की निष्पक्ष जाँच की जाये।
- नमक पर लगाए गए सभी कर हटाए जाएँ।
प्रश्न 22. सविनय अवज्ञा आंदोलन असहयोग आदोलन के मुकाबले किस तरह अलग था ? सविनय अवज्ञा आंदोलन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर –
- इस बार लोगों को न केवल अंग्रेजों का सहयोग न करने के लिए बल्कि औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करने के लिए आह्वान किया जाने लगा।
- देश के विभिन्न भागों में हजारों लोगों ने नमक कानून तोड़ा तथा सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किए।
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जाने लगा।
- किसानों ने लगान और चौकीदारों ने कर चुकाने से इन्कार कर दिया।
- वनों में रहने वाले लोगों ने वन कानूनों का उल्लंघन करना आरंभ कर दिया।
प्रश्न 23. 1916 के लखनऊ समझौते का इतिहास में क्या महत्व था ?
उत्तर –
- कांग्रेस के नरम दल और गरम दल का एक मंच पर आना।
- कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता।
- दोनों का संयुक्त होकर अंग्रेजों से अपनी मांगों को लेकर सामना करना।
- बाल गंगाधर तिलक का इसमें बड़ा योगदान था।
प्रश्न 24. सत्याग्रह के विचार का क्या अर्थ है ?
उत्तर –
- सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर।
- प्रतिशोध या बदले की भावना के बिना संघर्ष करना।
- अहिंसा के बल पर संघर्ष करना।
- उत्पीड़क शत्रु को नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा की अपेक्षा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करना।
प्रश्न 25. आलूरी सीताराम राजू कौन थे? असहयोग आंदोलन में उनका योगदान बताइए।
उत्तर- अल्लूरी सीताराम राजू ने आंध्र प्रदेश की गुडेम पहाड़ियों के आदिवासी किसानों का नेतृत्व किया।
- वह एक रोचक व्यक्ति थे। इन्हें खगोलीय ज्ञान प्राप्त था।
- लोगों का मानना था कि उनके पास विशेष शक्तियाँ हैं जिससे वह लोगों को स्वस्थ कर सकते हैं।
- वह गाँधी जी के प्रशंसक थे।
CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान
पाठ-3 भारत में राष्ट्रवाद
लघु/दीर्घ प्रश्न (3/5 अंक)
प्रश्न – 26 “सत्याग्रह का विचार आज भी प्रासंगिक है।” इस पर अपनी राय दीजिए।
उत्तर- गाँधी जी द्वारा अन्याय व उत्पीड़न के खिलाफ पूर्णतः नवीन मार्ग सत्याग्रह का ईजाद किया गया। इसका अर्थ है सत्य की शक्ति पर आग्रह। असमें अन्याय व उत्पीड़न के खिलाफ शारीरिक बल की जगह अहिंसा की शक्ति और उसके प्रयोग पर बल दिया गया है। यदि सभी लोग निर्भय होकर अहिंसात्मक प्रतिरोध करे तो मेरी नजर में यह कारगर तरीका है। भारत, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका का नागरिक अधिकार आन्दोलन इसका उदाहरण है। यदि इसमें असफता मिलती भी है तो यह रणनीति की कमी और इच्छा शक्ति के अभाव के कारण होता है।
प्रश्न 27. जलियावाला बाग हत्याकाण्ड ने ब्रिटिश शासन की नैतिकता को ध्वस्त कर दिया। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- 13 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग में निहत्थे लोगों के नरसंहार की घटना ने ब्रिटिश शासन के नैतिक दावों को ध्वस्त कर दिया। जनरल डायर के हथियार बंद सैनिकों के कृत्य ने ब्रिटिश शासन के लोकतांत्रिक मुखौटे को उतार दिया जिसमें निहत्थे लोगों पर गोलीबारी की गई। सभ्यता लोकतंत्र और आधुनिकता के प्रसार का दावा करने वाली ब्रिटिश हुकूमत इस कार्य को लोगों की नज़र में वैध साबित नहीं कर पाई और आम लोगों को अपने खिलाफ कर लिया।
प्रश्न 28. खिलाफत आन्दोलन को समर्थन देकर गाँधी ने किस प्रकार की दूरदर्शिता का परिचय दिया।
उत्तर –
- ब्रिटिश शासन के खिलाफ लागों के गुस्से को समझकर उसे दिशा देने का कार्य किया।
- दो बड़े समुदायों हिन्दू और मुस्लिमों के बीच एकता कायम करने के सूनहरे मौके के रूप में देखा।
- असहयोग आन्दोलन के रूप में एक बड़े आन्दोलन को जन्म दिया।
प्रश्न 29. सविनय अवज्ञा आन्दोलन की सीमाएँ वास्तव में राष्ट्रीय आन्दोलन की असफलता को प्रकट करती थी? समझाइए।
उत्तर- सभी सामाजिक समूह गाँधी की स्वराज की अमूर्त धारणा से प्रभावित नहीं थे तथा उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा नहीं लिया। जो निम्न थे
- अछूत वर्ग के अनुसार कांग्रेस रूढ़िवादी हिन्दुओं के दबाव में सामाजिक परिवर्तन के मुद्दे पर ज्यादा सक्रिय नहीं थी। यद्यपि गाँधी द्वारा अछूतों को हरिजन नाम दिया गया। किन्तु दलित समुदाय अंबेडकर के नेतृत्व में अलग राजनीतिक हल तलाशने में लगा था उसने गाँधी के आन्दोलन को संशय की दृष्टि से देखा और आन्दोलन में कम हिस्सा लिया।
- बहुत से मुस्लिम संगठनों ने भी आन्दोलनों में रूचि नहीं दिखाई। असहयोग खिलाफत आन्दोलन के शांत पड़ जाने से बहुत से मुस्लिम कांग्रेस से कटा हुआ महसूस करने लगे। हिन्दू मुस्लिम संबंधों में गिरावट आने लगी। प्रथक प्रतिनिधित्व की बात उठाई गई। भावी राष्ट्र में हिन्दू बहुसंख्या के वर्चस्व का भय कांग्रेस मुस्लिमों के मन से दूर नहीं कर पाई। तथा मुस्लिम आन्दोलन से बड़ी संख्या में दूर रहे। यह न केवल आन्दोलनों की विफलता थी अपितु राष्ट्रीय आन्दोलन की बड़ी सीमा थी।
प्रश्न – 30. जनता द्वारा किया गया असहयोग किस प्रकार साम्राज्यवादी शक्तियों की परेशानी का कारण बन जाती है। गाँधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आन्दोलन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर- गाँधी जी का मानना था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था और यह इसी सहयोग के कारण ही चल पा रहा है। अगर भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो सालभर में ब्रिटिश शासन ढह जाएगा। 1920 में गाँधी जी द्वारा शुरू किया गया असहयोग आन्दोलन इसे व्यक्त करता था। शहरों में पिकेटिंग, बहिष्कार, धरने , विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। 1921 से 1922 के बीच कपड़ों के आयात में आधी कमी आ गई। ग्रामीण इलाकों में लगान बंदी और किसान संघर्ष शुरू हुए। इन सबसे ब्रिटिश शासन को भारी नुकसान हुआ और वह दमन पर उतारू हो गई।
प्रश्न – 31. आज के समय में गाँधी जी की विचारधारा का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर –
- आज के लोकतांत्रिक युग में हिंसात्मक तरीकों को ठीक नहीं माना जाता। गाँधी जी अहिंसात्मक तरीकों के समर्थक थे।
- गाँधी जी की विचारधारा शारीरिक हिंसा की अपेक्षा नैतिक बल पर जोर देती है जो कमज़ोर तबकों, दलितों, महिलाओं के अनुकूल है।
- गाँधीवादी विचारधारा शोषण के विरूद्ध समानता बंधुत्व, प्रेम पर आधारित है जिसकी आज के समय में ज़रूरत है।
- गाँधीवादी तरीकों की सफलता पूरी दुनिया में देखी जा सकती है। जैसे – दक्षिण अफ्रीका की आज़ादी।
प्रश्न – 32. सामूहिक अपनेपन की भावना को पैदा करने के लिए जिन प्रतिकों, छवियों का सहारा लिया गया उनकी क्या सीमाएं थी?
उत्तर- बहुत सी सांस्कृतिक प्रक्रियाओं के जरिए लोगों में राष्ट्रवाद से जोड़ने के लिए विभिन्न देशों की तरह भारत में भी राष्ट्र की कई छवियों प्रतिकों को गढ़ा गया। बंकिमचन्द्र द्वारा मातृभूमि की बन्दना में लिखा गया वन्देमातरम्, रविन्द्र नाथ द्वारा भारत माता की छवि का चित्रण, राष्ट्रीय ध्वज की रचना, इतिहास की पुनर्व्याख्या आदि इसे प्रकट करती है। लेकिन इन सब कोशिशों की अपनी सीमाएं थी। जिस अतीत का गौरवगान किया जा रहा था वह हिन्दुओं का अतीत था जिन छवियों का सहारा लिया जा रहा था वे हिन्दू प्रतीक थे इसीलिए अन्य समुदायों के लोग अलग-थलग महसूस करने लगे थे।
प्रश्न – 33. महात्मा गाँधी द्वारा किसानों के पक्ष में आयोजित किए गए दो मुख्य सत्याग्रहों का नाम बताइए।
उत्तर –
- गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण के किसानों के सहयोग से सत्याग्रह प्रारम्भ किया और किसानों को उग्र खेती प्रणाली के विरूद्ध प्रेरित किया ।
- गाँधी जी ने गुजरात के खेडा जिला के किसानों के पक्ष में सत्याग्रह किया जो फसल न होने के कारण , प्लेग और महामारी के कारण भू राजस्व नहीं दे सके थे ।
प्रश्न – 34. गदर पार्टी के प्रमुख नेताओं के नाम लिखिए और राष्टीय आंदोलन में गदर पार्टी की क्या भूमिका थी?
उत्तर – गदर पार्टी के प्रमुख नेताओं के नाम थे रासबिहारी बोस , लाला हरदयाल , मैडम कामा और राजा महेन्द्र प्रताप ।
- इस पार्टी के नेताओं ने विदेशों में अंग्रेजी सरकार के विरूद्ध जनमत तैयार किया ।
- गदर पार्टी के प्रमुख नेताओं ने रास्ट्रीय आंदोलन में बढ चढ कर भाग लिया ।
प्रश्न -35 भारतीय नेताओं के 1919 में रॉलेक्ट एक्ट के विरोध करने के क्या कारण थे ?
उत्तर-
- इस कानून ने अंग्रेजी सरकार को यह शक्ति दे दी थी कि वह किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये जेल में डाल दे।
- उसके लिए किसी वकिल दलील और अपील की अनमति नहीं थी।
- यह कानून भारतीयों को उत्पिडित करने के उदेश्य से लाया गया था ।
- अंग्रेजी शासन रॉलेक्ट एक्ट लाकर स्वतंत्रता संग्राम की लहर को दबाना चाहती थी ।
प्रश्न -36. अंग्रेजो द्वारा साइमन कमीशन को लाने के क्या उदेश्य थे ?
उत्तर – अंग्रेजो द्वारा साइमन कमीशन को लाने के निम्नलिखित उदेश्य थे:
- 1919 के गर्वनमेंट ऑफ इंडिया एक्ट की समीक्षा की जा सके।
- यह सुझाव दिया जा सके कि भारतीय प्रशासन में कौन से नए सुधार लाया जा सके
- भारत में पैदा तत्कालीन राजनीतिक गतिरोध को दूर किया जा सके ।
प्रश्न – 37. पूना पेक्ट क्या हैं ? इस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखों ।
उत्तर – महात्मा गांधी ने ब्रिट्रिश निर्णयों के विरूद्ध जेल में रहते हुए अनिश्चितकालीन उपवास रख लिया था जिससे सारे देश में हलचल मच गई थी । अपने प्रिय नेता के प्राणरक्षा के लिए मदन मोहन मालवीय जैसे नेताओं ने डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर से दलितों के पृथक निर्वाचन क्षेत्र की मार्ग छोड़ देने की आग्रह की । इस विषय पर दोनो पक्षों में 25 सितम्बर 1932 को एक समझौता हुआ जिसे पूना पेक्ट कहा गया ।
प्रश्न – 38. गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों किया ?
उत्तर – गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लिए जाने के निम्नलिखित कारण थे:
- चैरी – चैरा के घटना से गाँधीजी काफी परेशान हो उठे जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि लोगों को वे अब शांत नहीं रख सकेगें।
- वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएगें तो अग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो जाएगी जिससे र्निदोष लोग भी मारे जाएगें ऐसे मे उन्होनें 1922 में इस आंदोलन को वापस लेना ही उचित समझा ।
प्रश्न – 39. खिलाफत और असहयोग आंदोलन से क्या तात्पर्य हैं ? इस आंदोलन के प्रमुख नेताओं के नाम लिखों।
उत्तर-
खिलाफत आन्दोलन: खिलाफत आंदोलन दो अली भइयों (मोहम्द अली और शौकत अली) ने 1919 में शुरू किया क्योंकि मित्र राष्ट्रों ने तुर्की को पराजित करके उसकी बहुत सी बस्तियों को आपस मे बडे अन्यायपूर्ण ढंग से बाँट लिया था । कांग्रेस के नेताओ ने इन अली भइयों का पूर्ण साथ दिया ।
असहयोग आंदोलन: सन् 1920 में अंग्रजी सरकार के अत्याचार पूर्ण व्यवहार अन्यायपूर्ण बर्ताव का विरोध करने के लिए कांग्रेस ने महात्मा गाँधी और मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में एक अन्य आंदोलन शुरू किया जिसे असहयोग आंदोलन के नाम से जाना गया । इस आंदोलन के प्रमुख नेताओं के नाम:- मोहम्द अली और शौकत अली , महात्मा गाँधी और मोतीलाल नेहरू आदि थे ।
प्रश्न – 40. प्रथम विश्व युद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ?
उत्तर – प्रथम विश्व युद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्न योगदान दिया:
- प्रथम विश्व युद्ध 1914-18 ई तक चला । इस काल में भरतीय राष्टीय आंदोलन को गति मिली । साथ ही साथ राष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा ।
- अंग्रजों ने भरतीयों से पूछे बिना भारत को युद्ध में एक पार्टी बना दिया साथ ही साथ भारत के संसाधनों का अपने हित के लिए धडल्ले से प्रयोग किया इससे भारतीयों में अंग्रेजो के प्रति विरोध करने की जज्बा पैदा हआ ।
- यदयपि मस्लिम लीग अंग्रजी सरकार की बांटी थी परन्त प्रथम महायद के घटनाओं के कारण इसे कांग्रेस के समीप आना पड़ा जिससे राष्ट्रीय आंदोलनों में काफी सहायता मिली ।
- इस महायुद्ध के कारण मुस्लिम विशेषकर मुस्लिम लीग अंग्रेजों के विरूद्ध हो गये क्योंकि महायुद्ध की समाप्ति के बाद मित्र राष्ट्रो ने तुर्की के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया ।
प्रश्न – 41. सविनय अवज्ञा आन्दोलन की चार सीमाओं का उल्लेख कीजिए |
उत्तर – सविनय अवज्ञा आन्दोलन की चार सीमाए निम्नलिखित हैं:
- जब सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू हुआ उस समय समुदायों के बीच संदेह और अविश्वास का माहौल बना हुआ था ।
- कांग्रेस से कटे हुए मुस्लमानों का एक तबका किसी संयुक्त संर्घष के लिए तैयार नहीं था ।
- भारत के विभिन्न धार्मिक नेताओं और जाति समूहों के नेताओं ने अपनी आनी माँगे शुरू कर दी जिससे सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति इन्होने कोई खास रूचि नहीं दिखाई।
- धीरे धीरे हिंदू और मुस्लमानों के बीच संबंध खराब होते गये कई शहरों में सांप्रादायिक टकराव और दंगे हुए जिससे दोनों समुदायों के बीच फासले बढते गये ।
प्रश्न – 42. काँग्रेस के तीन गरम दल के नेताओं का नाम लिखो।
उत्तर: लाल बाल पाल
- लाला लाजपत राय
- बाल गंगाधर तिलक
- विपिन चन्द्र पाल
प्रश्न – 43. लोगों को एकजुट करने के लिए राष्ट्रवादी नेता किस प्रकार के चिन्हो और प्रतीको का प्रयोग कर रहे थे ?
उत्तर – राष्ट्रवादी नेताओं ने भारत के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रीय आंदोलन को गति देने के लिए विभिन्न प्रतीको और चिन्हो का प्रयोग कर रहे थे ।
- बंगाल में स्वदेशी आंदोलन के दौरान एक तिरंगा झंडा ( हरा पीला लाल ) तैयार किया गया । जिसमें बिट्रिश भारत के आठ प्रतो का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ मुस्लमानों का प्रतिनिधित्व करता एक अर्धचंद्र दर्शाया गया था ।
- गाँधीजी ने भी स्वराज्य का झंडा तैयार कर लिया यह भी (सफेद हरा लाल ) रंग का तिरंगा था । इसके मध्य में गाँधीवादी प्रतीक चरखों को महत्व दी गई जो स्वावलंबन का प्रतीक था ।
पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर:
संक्षेप में लिखे:
Q1. व्याख्या करें –
(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?
उत्तर : उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन उपनिवेशों में उत्पीडन और दमन के साथ गहराई से जुड़ा हआ था | किसी भी औपनिवेशिक शासक के खिलाफ संघर्ष आपसी एकता के बिना संभव नहीं था | अलग-अलग लोगों के अलग-अलग हित और सबकी अपनी समस्याएँ थी | आजादी के सबके अपने मायने थे | परन्तु राष्ट्रवाद के उदय के साथ ही औपनिवेशिक शासकों के साथ संघर्ष का ढंग ही बदल गया | राष्ट्रवाद ने समाज के सभी तबकों को अपनी निजी समस्याओं से ऊपर उठकर देश के लिए संघर्ष करने की प्रेणना दिया |
(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया |
उत्तर : प्रथम विश्व यद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्न योगदान दिया –
- प्रथम विश्व युद्ध 1914-18 ई तक चला । इस काल में भरतीय राष्टीय आंदोलन को गति मिली । साथ ही साथ राष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा ।
- अंग्रजों ने भरतीयों से पूछे बिना भारत को युद्ध में एक पार्टी बना दिया साथ ही साथ भारत के संसाधनों का अपने हित के लिए धडल्ले से प्रयोग किया इससे भारतीयों में अंग्रेजो के प्रति विरोध करने की जज्बा पैदा हआ |
- यद्यपि मुस्लिम लीग अंग्रजी सरकार की बांदी थी परन्तु प्रथम महायुद्ध के घटनाओं के कारण इसे कांग्रेस के समीप आना पड़ा जिससे राष्ट्रीय आंदोलनों में काफी सहायता मिली ।
- इस महायुद्ध के कारण मुस्लिम विशेषकर मस्लिम लीग अंग्रेजों के विरूद्ध हो गये क्योंकि महायुद्ध की समाप्ति के बाद मित्र राष्ट्रो ने तुर्की के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया ।
(ग) भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे?
उत्तर : भारतियों के रोलेक्ट एक्ट के विरोध करने के निम्नलिखित कारण थे
- इस कानून ने अंग्रेजी सरकार को यह शक्ति दे दी थी कि वह किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये जेल में डाल दे ।
- उसके लिए किसी वकिल दलील और अपील की अनुमति नहीं थी।
- यह कानून भारतीयों को उत्पिडित करने के उदेश्य से लाया गया था ।
- अंग्रेजी शासन रॉलेक्ट एक्ट लाकर स्वतंत्रता संग्राम की लहर को दबाना चाहती थी।
(घ) गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर : गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लिए जाने के निम्नलिखित कारण थे –
- चौरी-चौरा की घटना हिंसक हो चुकी थी जिसमें आन्दोलनकारियों ने 22 पलिसकर्मियों को चौकी में जिन्दा जला दिया था |
- चौरी – चौरा के घटना से गाँधीजी काफी परेशान हो उठे जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि लोगों को वे अब शांत नहीं रख सकेगें।
- असहयोग आन्दोलन अहिंसा पर आधारित था जबकि ऐसा नहीं
- (iv) वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएगें तो अग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो जाएगी जिससे र्निदोष लोग भी मारे जाएगें ऐसे मे उन्होनें 1922 में इस आंदोलन को वापस लेना ही उचित समझा ।
प्रश्न – 2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?
उत्तर : सत्याग्रह के विचार का मतलब निम्न हैं –
- सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर |
- प्रतिशोध या बदले की भावना के बिना संघर्ष करना |
- अहिंसा के बल पर संघर्ष कर विजय प्राप्त करना | (iv) उत्पीड़क शत्रु ही नहीं अपितु सभी को हिंसा की अपेक्षा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करना
प्रश्न –3. निम्नलिखित पर अख़बार के लिए रिपोर्ट लिखें –
(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड
(ख) साइमन कमीशन
उत्तर –
(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड : 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर के जलियाँवाला बाग में सैकड़ों बेकसूर हिन्दुस्तानियों की निर्मम हत्या की घटना हुई | 10 अप्रैल को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी। इसके बाद लोग बैंकों, डाकखानों और रेलवे स्टेशनों पर हमले करने लगे। मार्शल लॉ लागू कर दिया गया और जनरल डायर ने कमान सँभाल ली। उस दिन अमृतसर में बहुत सारे गाँव वाले एक मेले में शिरकत करने के लिए जलियाँवाला बाग मैदान में जमा हुए थे। यह मैदान चारों तरफ से बंद था। शहर से बाहर होने के कारण वहाँ जुटे लोगों को यह पता नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। जनरल डायर हथियारबंद सैनिकों के साथ वहाँ पहँचा और जाते ही उसने मैदान से बाहर निकलने के सारे रास्तों को बंद कर दिया। इसके बाद उसके सिपाहियों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला दीं। जिससे सैंकड़ों लोग मारे गए।
(ख) साइमन कमीशन’ : 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहँचा तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों से किया गया। यह इस कमीशन के 4-5 अंग्रेज अधिकारी थे | कांग्रेस औ स्लम लीग जैसी सभी पार्टियों ने इस कमीशन के विरोध प्रदर्शन में भाग लिया |
अंग्रेजो दवारा साइमन कमीशन को लाने के निम्नलिखित उदेश्य थे –
- 1919 के गर्वनमेंट ऑफ इंडिया एक्ट की समीक्षा की जा सके ।
- यह सुझाव दिया जा सके कि भारतीय प्रशासन में कौन से नए सुधार लाया जा सके |
- भारत में पैदा तत्कालीन राजनीतिक गतिरोध को दूर किया जा सके |
परन्तु भारतियों के इसके विरोध के निम्नलिखित कारण थे –
- इस कमीशन में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था और
- इस कमीशन की धाराओं में भरतीयों को स्वराज्य दिए जाने का कोई जिक्र नहीं था।
प्रश्न – 4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
परीक्षा-उपयोगी प्रश्नोत्तर
प्रश्न – सत्याग्रह का मूलमंत्र क्या था ?
उत्तर:
- अहिंसा के द्वारा किसी को भी जीता जा सकता है |
- संघर्ष में अंततः सत्य की ही जीत होती है।
- आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है |
- उत्पीड़क से मुकाबला के लिए शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है |
- गांधीजी का विश्वास था की अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है।
प्रश्न – सभी सामाजिक समूह स्वराज की अमूर्त अवधारणा से प्रभावित नहीं थे | क्यों ?
उत्तर : सभी सामाजिक समूह स्वराज की अमूर्त अवधारण से प्रभावित नहीं थे यह बात बिलकुल सत्य है जिसके निम्नलिखित कारण थे |
- देश के हर वर्ग और सामाजिक समूहों पर उपनिवेशवाद का एक जैसा असर नहीं था | उनके अनुभव भी अलग-अलग थे |
- अलग-अलग समूहों के लिए स्वराज के मायने भी भिन्न थे और सबके अपने हित थे |
- बहत से पढ़े-लिखे भारतीय और अमीर लोग सीधे तौर पर अंग्रेजों से जुड़े थे, जिनके अपने-अपने हित थे। उनका स्वराज व स्वतंत्रता के प्रति रुख उदासीन था |
- किसानों की अपनी समस्याएँ थी, जबकि अंग्रेजी सेना में शामिल भारतीय सिपाहियों की भी अपनी समस्याएँ थी ।
- स्वराज आन्दोलन के लिए इन समूहों को खड़ा करना एक बहुत बड़ी समस्या थी | इनके एकता में भी टकराव के बिंदु निहित थे |
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