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मैं क्यों लिखता हूँ? पाठ का सार और प्रश्न उत्तर

CBSE Class-10 Hindi

NCERT Solutions

Kritika Chapter Lesson – 5

Main Kyon Likhata hun

मैं क्यों लिखता हूँ?

मैं क्यों लिखता हूँ Class 10th Kritika Notes






 

 

मैं क्यों लिखता हूँ?

पाठका सार

लेखक लिखने के लिए विवश है। अपनी लिखने की विवशता पर विचार करके जानना चाहता है कि वह क्यों लिखता है। वह लेखन का संबंध आंतरिक जीवन को मानते हुए विभिन्न स्तरों पर विचार करता है और उनसे जुड़े लोगों की विशेषताओं को समझाता है। लेखक के अनुसार लिखे बिना लिखने के कारणों को नहीं जाना जा सकता। लिखकर ही लिखने की विवशता से मुक्त हुआ जा सकता है और लेखन को समझा और पहचाना जा सकता है। लेखक के अनुसार सभी लेखकों को कृतिकार अथवा रचनाकार नहीं कहा जा सकता। एक रचनाकार आंतरिक दीप्त चेतना से प्रभावित होकर ही रचना करता है।

कभी-कभी बाहरी दबावों से भी आंतरिक दीप्त होने पर रचना लिखी जाती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो रचना के लिए बाहरी दबावों की प्रतीक्षा करते हैं अर्थात उनके लेखन में दबावों की निर्भरता रहती है। लेखक स्वयं के लिए बाह्य दबाव महत्वपूर्ण नहीं है। दबावों के होने पर भी उसमें बसा कृतिकार उनसे प्रभावित नहीं होता। वह अपनी दीप्त चेतना से ही प्रेरित होकर लिखता है। लेखक के अनुसार कृति का आधार मनुष्य की भीतरी विवशता है। वृफतिकार होकर भी लेखक के लिए भीतरी विवशता को समझाना कठिन है।

अतः इसे वह अपनी कविता ‘हिरोशिमा’ के माध्यम से समझाता है। वह कहता है कि विज्ञान का विद्यार्थी होने के कारण उसे रेडियोधर्मी प्रभावों की जानकारी थी। हिरोशिमा पर अणु बम के विस्पफोट ने उसे प्रभावित किया और उसने कुछ लेख भी लिखे। भारत की पूर्वी सीमा पर हुए युद्ध के समय सैनिकों को मछलियों की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने समुद्र में बम फेंके। इससे हजारों मछलियाँ मर गई। जीवों के इस नाश से लेखक को गहरा दुख पहुँचा।

जापान गए तो वर्षों बाद हिरोशिमा के लोगों को बम से पीड़ित देखकर वह कराह उठा। भारत के समुद्री जीवों के नाश से जुड़ी उसकी संवेदना हिरोशिमा में पीड़ितों को देखकर और गहरा गई। एक दिन उसने सड़क पर चलते हुए एक पत्थर पर रेडियोधर्मिता से प्रभावित एक मानव आकृति की मात्रा छाया देखी, पीड़ा घनीभूत हो उठी। अणु बम विस्पफोट की पीड़ा पुनः जी उठी। बम विस्पफोट की अनुभूति प्रत्यक्ष हो गई। संवेदना ने उसे कल्पनाशील बनाया और आत्मा से अनुभवों को महसूस कराया। उसकी अनुभूति आंतरिक थी, वह विवश हो उठा। अनुभूति की ज्वलंतता भारत आने पर एक दिन अचानक रेल में यात्रा करते हुए ‘हिरोशिमा’ नामक कविता के रूप में ढल गई और एक कृति के रूप में सामने आ गई। लेखक अपनी उस भीतरी विवशता से मुक्त हो गया और तटस्थ होकर उसे देखने और समझने की कोशिश करने लगा। लेखक के अनुसार अनुभूति की ज्वलंतता ही लिखने का कारण बनती है, स्थिति या व्यक्ति की प्रत्यक्षता अथवा निकटता नहीं।







कठिन शब्दों के अर्थ
• आभ्यंतर – भीतरी
• रुद्ध – फँसा
• उन्मेष – प्रकाश
• निमित्त – कारण
• प्रसूत – उत्पन्न
• विवशता – मजबूरी
• तटस्थ – किसी भी प्रभाव से दूर
• कृतिकार – रचनाकार
• तकाजा – कोई काम करने के लिए बार-बार कहाना
• आत्मानुशासन – स्वयं पर अनुशासन
• बखानना – बढ़-चढ़ कर बताना
• कदाचित – शायद
• परवर्ती -बाद का
• अपव्यय -फालतू खर्च
• ज्वलंत – जलता हुआ
• तत्काल -तुरंत
• कसर -कमी
• अवाक् – आश्चर्य के कारण चुपचाप
• भोक्ता – अनुभव करने वाला
• आकुलता – बेचैनी
• समूची – पूरी
• ट्रेजडी – विपत्ति
• अनुभूति – अनुभव
• रेडियोधर्मी – रेडियम से संबंधित
• विद्रोह – विरोध
• बौद्धिक – बुद्धि से संबंधित
• युद्धकाल – युद्ध की अवधि
• आहत – पीड़ित
• आत्मसात – ग्रहण करना


Class: 10th

Chapter: मैं क्यों लिखता हूं ?

Main Kyon Likhta Hun

Question Answers


प्रश्न 1. लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?

उत्तर:- लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव वह होता है। तो हम सामने घटित होते हुए देखते हैं परन्तु अनुभूति संवेदना और कल्पना के सहारे उस सत्य को आत्मसात् कर लेती है, यह वास्तव में कृतिकार के साथ घटित नहीं होती है।अनुभव की तुलना में अनुभूति उसके हृदय के सारे भावों को बाहर निकालने में उसकी मदद करती है। जब तक हृदय में अनुभूति न जागे लेखन करना संभव नहीं है क्योंकि यही हृदय में संवेदना जाग्रत करती है और लेखन के लिए मजबूर करती है। लेखक अपनी आंतरिक विवशता के कारण लिखने के लिए प्रेरित होता है। उसकी अनुभूति उसे लिखने के लिए प्रेरित करती है व स्वयं भी वह लिखने के लिए प्रेरित होता है। इसलिए लेखक, लेखन के लिए अनुभूति को अधिक महत्व देता है।

प्रश्न 2. लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?

उत्तर:- लेखक हिरोशिमा के बम-विस्फोट के परिणामों को अख़बारों में पढ़ चुका था। लेखक ने अपनी जापान यात्रा के दौरान हिरोशिमा का दौरा किया था। वह उस अस्पताल में भी गया जहाँ आज भी उस भयानक विस्फोट से पीड़ित लोगों का इलाज हो रहा था। इस अनुभव द्वारा लेखक को, उसका भोक्ता बनना स्वीकार नहीं था। कुछ दिन पश्चात् जब उसने किसी स्थान पर एक बड़े से पत्थर पर एक व्यक्ति की उजली छाया देखी, संभवत: विस्फोट के समय कोई व्यक्ति उस स्थान पर खड़ा रहा होगा। विस्फोट से विसर्जित रेडियोधर्मी पदार्थ ने उस व्यक्ति को भाप बनाकर उड़ा दिया और पत्थर को झुलसा दिया। इस प्रकार जैसे समूची दुर्घटना उस पत्थर पर लिखी गई हो। इस प्रत्यक्ष अनुभूति ने लेखक के हृदय को झकझोर दिया। इस प्रकार लेखक हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बन गया।







प्रश्न 3.1 मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि – लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं?

उत्तर:- किसी भी लेखक को लिखने के लिए आर्थिक विवशता, आंतरिक विवशता, प्रसिद्धि पाने की इच्छा और संपादक व प्रकाशक का आग्रह प्रेरित करता हैं।

प्रश्न 3.2 मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि – किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं?

उत्तर:- किसी रचनाकार को उसकी आंतरिक विवशता रचना करने के लिए प्रेरित करती है परन्तु कई बार उसे संपादकों के दवाब व आग्रह के कारण रचना लिखने का प्रयास करना पड़ता है।परन्तु मन की व्याकुलता ही उसके लेखन का मूल कारण बनती है।

प्रश्न 4. कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौनसे हो सकते हैं?

उत्तर:- कोई आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव, उसे हमेशा लिखने के लिए प्रेरित करते हैं परन्तु इनके साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्वपूर्ण होते हैं।जो लेखक को लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। ये इस प्रकार हैं:

१) आर्थिक लाभ की आकांक्षा

२) सामाजिक परिस्थितियाँ

३) संपादकों का आग्रह

४) विशिष्ट के पक्ष में प्रस्तुत करने का दबाव

प्रश्न  5. क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?

उत्तर:- बिल्कुल ! ये दवाब किसी भी क्षेत्र के कलाकार हो, सबको समान रुप से प्रभावित करते हैं। कलाकार अपनी अनुभूति या अपनी खुशी के लिए अवश्य अपनी कला का प्रदर्शन करता है, परन्तु उसके क्षेत्र की विवशता एक रचनाकार से अलग नहीं है। जैसे –

१) अभिनेता, मंच कलाकार या नृत्यकार – इन पर निर्देशक का दबाव रहता है।

२) गायक-गायिकाएँ – इन पर आयोजको और श्रोताओं का दबाव बना रहता है।

३) मूर्तिकार – इन पर बनवाने वाले ग्राहकों की इच्छाओं तथा पसन्द का दबाव रहता है।

४) चित्रकार – इन पर बनवाने वाले ग्राहकों की इच्छाओं का दबाव रहता है।







प्रश्न 6. हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत : व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं ?

उत्तर:- लेखक जापान घूमने गया था तो हिरोशिमा में उस विस्फोट से पीड़ित लोगों को देखकर उसे थोड़ी पीड़ा हुई परन्तु उसका मन लिखने के लिए उसे प्रेरित नहीं कर पा रहा था। हिरोशिमा के पीड़ितों को देखकर लेखक को पहले ही अनुभव हो चुका था परन्तु जले पत्थर पर किसी व्यक्ति की उजली छाया ने उसको हिरोशिमा में विस्फोट से प्रभावित लोगों के दर्द की अनुभूति कराई, लेखक को लिखने के लिए प्रेरित किया। इस तरह हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत: व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है।

प्रश्न 7. हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है?

उत्तर:- हिरोशिमा तो विज्ञान के दुरुपयोग का ज्वलंत उदाहरण है ही पर हम मनुष्यों द्वारा विज्ञान का और भी दुरुपयोग किया जा रहा है। जैसे – १) विज्ञान ने यात्रा को सुगम बनाने के लिए हवाई जहाज़, गाड़ियों आदि का निर्माण किया परन्तु हमने इनसे अपने ही वातावरण को प्रदूषित कर दिया है।

२) इस विज्ञान की देन के द्वारा आज हम अंगप्रत्यारोपण कर सकते हैं। परन्तु आज इस देन का दुरुपयोग कर हम मानव अंगों का व्यापार करने लगे हैं।

३) विज्ञान के दुरुपयोग से भ्रूण हत्याएँ बढ़ रही है।

४) विविध कीटनाशकों का प्रयोग आत्महत्या के लिए होता है।

५) विज्ञान ने कंप्यूटर का आविष्कार किया उसके पश्चात् उसने इंटरनेट का आविष्कार किया ये उसने मानव के कार्यों के बोझ को कम करने के लिए किया। हम मनुष्यों ने इन दोनों का दुरुपयोग कर वायरस व साइबर क्राइम को जन्म दिया है।

६) आज हर देश परमाणु अस्त्रों को बनाने में लगा हुआ है जो आने वाले भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

प्रश्न 8.एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?

उत्तर:- हमारी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये कहना कि विज्ञान का दुरुपयोग हो रहा है – सही है ! परन्तु हर व्यक्ति इसका दुरुपयोग कर रहा है। यह कहना सर्वथा गलत होगा। क्योंकि कुछ लोग इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कार्य करते रहते हैं।

(1) विज्ञान के बनाए हथियारों का यथासंभव उपयोग मानवता की भलाई के लिए ही करें, मनुष्य के विनाश के लिए नहीं।

(2) प्रदूषण के प्रति जनता में जागरुकता लाने के लिए अनेक कार्यक्रमों व सभा का आयोजन किया जा रहा है। जिससे प्रदूषण के प्रति रोकथाम की जा सके। इन समारोहों में जाकर व लोगों को बताकर हम अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं।

(3) टी.वी पर प्रसारित अश्लील कार्यक्रमों का खुलकर विरोध करूँगा और समाजोपयोगी कार्यक्रमों के प्रसारण का अनुरोध करूँगा।





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