Exam PreparationUGC NET GEOGRAPHY

पृथ्वी के उत्पत्ति के सिद्धांत

बफन की परिकल्पना

* बफन फ्रांसीसी वैज्ञानिक थे |
*बफन ने पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अपने विचार 1745 में रखा था |
* बफन ने टकराव सिद्धांत 1745 में प्रस्तुत किया |
* बफन के अनुसार दो तारो एक सूर्य तथा दूसरा पुच्छल तारे में जोरदार टक्कर हुई जिससे सूर्य से पर्याप्त मात्रा में द्रव्य निकल आया, जो बाद में घनीभूत होकर ग्रह तथा उपग्रह में बदल गए |

बफन की परिकल्पना के दोष
* किसी तारे की कक्षा सूर्य की कक्षा के निकट नहीं है जिससे सूर्य और पुच्छल तारा टकरा सके |
* पुच्छल तारा इतना छोटा होता है की वह सूर्य को क्षति नहीं पंहुचा सकता है |

2) कांट की वायव्य राशि परिकल्पना
* कांट जर्मन दार्शनिक थे |
* कांट ने वायव्य राशि परिकल्पना 1755 में प्रस्तुत की थी |
* वायव्य राशि परिकल्पना न्यूटन के गुरुत्व नियम पर आधारित है जो निम्नलिखित है :-
(i) गुरुत्वाकर्षण बल के कारण तारे आपस में टकरा गए जिससे ऊष्मा उत्पन्न हुई |
(ii) ऊष्मा के कारण इसका आकर बढ़ता गया और छल्ले उत्पन्न हो गए |
(iii) घूमने के कारण इसका आकर बढ़ता चला गया और छल्ले उत्पन्न हो गयें |
(iv) यह छल्ले बाद में ग्रह के रूप में पृथक हो गयें |
(v) ग्रहो से भी इसी प्रकार छल्ले अलग हो कर उपग्रह बने |
* ग्रहो और उपग्रहों की उत्पत्ति के बाद जो पदार्थ बचा उस से सूर्य की उत्पत्ति हुई |
* कांट ने कहा ” मुझे पदार्थ दो , मैं विश्व का निर्माण कर के दिखाऊंगा ” |
* गुरुत्वाकर्षण तथा गति के नियमो पर आधारित यह पहली परिकल्पना थी |
* कांट के परिकल्पना ने लापल्ले के निहारिका सिद्धांत को बहुत प्रभावित किया |

3) लाप्लेस की निहारिका परिकल्पना
( Nebalas Hypothesis of Laplace )
* लाप्लेस फ्रांस के प्रसिद्ध विद्वान् थे |
* लाप्लेस ने पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में 1796 में निहारिका परिकल्पना का प्रतिपादन अपनी पुस्तक Exposition of The World System में की |
* लाप्लेस ने कांट की परिकल्पना दोष दूर करने के प्रयास किये |
* लाप्लेस ने माना पदार्थ ठंडे ठोस कणो के रूप में नहीं था बल्कि अंतरिक्ष में एक उष्ण एवं गैसीय निहारिका थी |
* लाप्लेस को नहारिका परिकल्पना की प्रेणा शनि ग्रह को देखने से मिली थी |
* लाप्लेस ने अनुमान लगाया की नहारिका का व्यास वर्तमान सौरमंडल के विस्तार के बराबर था |
* लाप्लेस के अनुसार निहारिका का अवशिष्ठ भाग हमारा वर्तमान सूर्य है |

4) लॉकियर की उल्का परिकल्पना
( Meteoritic Hypothesis of Lockyer )

* लाप्लेस का अनुसरण करते हुए ब्रिटिश वैज्ञानिक लॉकियर ने अपनी उल्का परिकल्पना (Meteoritic Hypothesis) प्रस्तुत की |
* लॉकियर के अनुसार आकाश में असंख्य तारे टूटते रहते है जिन्हे उल्का कहते है | ये उल्का पृथ्वी की सतह पर कई बार गिर जाते है जिसके अध्यन से ये ज्ञात होता है की यह लगभग पृथ्वी जैसे पदार्थ से बने है |
* लॉकियर की परिकल्पना के अनुसार प्रांरभ में दो विशाल उल्का पिंड आपस में टकराये जिससे भीषण ताप, प्रकाश तथा वात की उत्पत्ति हुई | जिससे उल्का पिंड के अधिकांश भाग पिघल कर द्रव में परिवर्त्ती हो गए तथा कुछ गैस में परिवर्त्ती हो कर बादलो की भांति अंतरिक्ष में वितरित हो गए और एकत्रित होकर एक वायव्य महापिंड का निर्माण किया और आपसी टकराव के कारण यह महापिंड घूर्णन करने लगे और एक सर्पिल निहारिका का रूप धारण कर लिया |

विशाल कुमार और सुधा कुमारी इस ब्लॉग के लेखक और संस्थापक है, इस ब्लॉग पर आपको ब्लॉग्गिंग, करंट अफेयर्स, टेक्नोलॉजी, डेली न्यूज़, लेटेस्ट जॉब और परीक्षा से सम्बंधित सभी जानकारी हिंदी में पढने को मिलेंगी।

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