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अध्याय – 4 कृषि Class 10th CBSE important Questions 2021




Social Science Class 10th CBSE important Questions 2021

Samajik Vigyan class 10 important

10th class sst in Hindi important Q & A

 सामाजिक विज्ञान class 10th important Questions 2021




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कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान के नोट्स, महत्त्वपूर्ण प्रश्न और अभ्यास पत्र

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सामाजिक विज्ञान class 10th important Questions 2021




अध्याय -4 ( कृषि )

प्र .1 रोपण कृषि क्या है । रोपण कृषि की चार प्रमुख विशेषताँए बताइए । ( 2016 )

Ans – रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1 – इसमें कृषि क्षेत्र का आकार बहुत विस्तृत होता है।

2 – इसमें अधिक पूँजी, निवेश, उच्च प्रबंधन, तकनीकी आधार एवं वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया गया है।

3 – यह एक फसली कृषि है जिसमें किसी एक फसल के उत्पादन पर ही संकेंद्रण किया जाता है।
4 – सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता रहती है।

5 – यातायात के साधन विकसित होते हैं जिसके द्वारा बागान एवं बाजार सुचारू रूप से जुड़े रहते हैं।

प्र .2 प्रारंभिक जीवन निर्वाह कृषि की प्रमुख विशेषताएं बताइए । ( 2016 )

Ans – प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि : जब खेती से केवल इतनी उपज होती है कि उससे परिवार का पेट किसी तरह से भर पाए तो ऐसी खेती को जीविका निर्वाह कृषि कहते हैं । इस तरह की खेती जमीन के छोटे टुकड़ों पर की जाती है । आदिम औजार तथा परिवार या समुदाय के श्रम का इस्तेमाल होता है । इस प्रकार की खेती मुख्य रूप से मानसून पर और जमीन की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर होती है । ऐसी खेती में किसी स्थान विशेष की जलवायु के अनुसार फसल का चुनाव किया जाता है ।




प्र .3 गहन जीवन निर्वाह कृषि क्या है । इस कृषि की चार प्रमुख विशेषताँए बताइए ।

Ans – गहन निर्वाह कृषि

1 उच्च जनसंख्या घनत्व के कारण खेतों का आकार छोटा होता है

2 मशीनों का उपयोग बहुत कम होता है।

3 भूमि का गहन उपयोग किया जाता है।

4 प्रति इकाई उत्पादन अधिक परन्तु प्रति कृषक उत्पादन कम होता है।

5 कृषि का समस्त कार्य कृषक तथा उसके परिवार के सदस्य करते है।

प्र .4 वाणिज्य कृषि की तीन प्रमुख विशेषताँए बताइए । भारत के तीन प्रमुख कृषि ऋतुओं का समय व प्रमुख फसलों को ध्यान मे में रखकर वर्णन कीजिए ।

Ans – विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि की विशेषता

(i) व्यावसायिक खेती की मुख्य विशेषता उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के लिए उच्च मात्रा में बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशक और कीटनाशक की उच्च मात्रा की आधुनिक जानकारी का उपयोग है।

(ii) एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में कृषि किस्मों के व्यवसायीकरण की डिग्री, उदाहरण के लिए चावल पंजाब और हरियाणा की व्यावसायिक फसल है, लेकिन उड़ीसा में यह एक निर्वाह फसल है।

(iii) वृक्षारोपण भी एक प्रकार की व्यावसायिक खेती है जहाँ एक बड़े क्षेत्र में एक ही फसल उगाई जाती है।

(iv) वृक्षारोपण बड़े क्षेत्रों को कवर करते हैं जो प्रवासी मजदूरों की मदद से पूंजी गहन आदानों का उपयोग करते हैं।

(v) भारत में चाय, कॉफी, रबर, गन्ना, केला महत्वपूर्ण रोपण फसलें हैं।




प्र .5 भारत मे चावल की कृषि के लिए प्रमुख भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए और चावल उत्पादक राज्यों के नाम बताइए । ( 2011 )

Ans – चावल भारत के अधिकांश लोगों का खाद्यान्न है। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। चावल एक खरीफ़ की फसल है जिसे उगाने के लिए (25
सेल्सियस के ऊपर) और अधिक आद्रता (100 सेमी. से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है। ऐसे क्षेत्र जहाँ वर्षा कम होती है, वहाँ चावल सिंचाई की सहायता से उगाया जाता है। चावल उत्तर और उत्तरी-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नहरों के जल और नलकूपों की सघनता के कारण हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी चावल की फसल उगाना संभव हो पाया है।

चावल उत्पादक राज्य :-
यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, असम तथा पंजाब है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत के राज्‍यों का मुख्‍य भोजन है।

प्र .6 भारत मे चाय किन क्षेत्रों मे पैदा की जाती है । ( 2013 )

Ans – आम तौर पर भारत में चाय उत्तर-पूर्वी भागों और नीलगिरि पहाड़ियों में उगायी जाती है।




प्र .7 कृषि मे संस्थागत सुधार क्या है उन उपायो की सूची बताइए जो भारत सरकार ने कृषि की दशा सुधारने के लिए किए है । ( 2015 )

Ans – भारत में कृषि बहुत पहले से की जा रही है। कृषि के साधनों का तेजी से विकास होने के बाद भी आज भारत के बहुत बड़े भाग में किसान खेती के लिए मानसून और भूमि की प्राकृतिक उर्वकता पर निर्भर है।
भारत में बढ़ती जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में खाद्य उत्पादन की आवश्यकता है। इसलिए स्वतंत्रता के बाद सरकार द्वारा किसानों के हित में कई संस्थागत सुधार किये गए। इसमें खेतों की चकबंदी, सहकारिता और जमींदारी आदि को ख़त्म करने के कार्यक्रम थे। भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना में भूमि सुधार को प्रमुखता दी गई लेकिन भूमि के उत्तराधिकारियों विभाजन से कठनाई उत्पन्न हो गई।

हरित क्रांति और श्‍वेत क्रांति से भारतीय कृषि में सुधार तो हुआ परन्तु यह केवल कुछ चुने हुए क्षेत्रों तक ही सिमित रहा। इसलिए 1980 और 1990 के दशकों में अनेक भूमि विकास कार्यक्रम शुरू किए गए जो तकनीकी और संस्थागत सुधारों पर आधारित थे। सूखा, बाढ़, चक्रवात, आग तथा बीमारी के लिए फसल बीमा के प्रवाधान और किसानो को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंको, सहकारी समितियों और बैंको की स्थापना आदि इस दिशा में उठाये गए कुछ महत्वपूर्ण कदम थे।
किसान क्रेडिट कार्ड, व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा आदि कुछ ऐसे अन्य कार्यक्रम थे, जो भारत सरकार ने किसानों के हित में शुरू किए है। इसके अतिरिक्त आकाशवाणी और दूरदर्शन पर किसानों के लिए मौसम की जानकारी के बुलेटिन और कृषि कार्यक्रम प्रसारित किए जाते है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा भी सरकार द्वारा की गई जिससे की किसान शोषण से बच सकें।

प्र .8 भारतीए कृषि आज किन समस्याओं का सामना कर रही है ।

Ans – 1. ग्रामीण-शहरी विभाजन- भारत में अधिकांश खेती देश के ग्रामीण हिस्सों में की जाती है. हालांकि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार हुआ है लेकिन भारत के ग्रामीण और शहरी अंतर के पुल को कम करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है.

2. कृषि में निवेश का अभाव – कृषि क्षेत्रों में नए निवेश में कमी हुई है. कई अर्थशास्त्रियों ने इसके लिए कई कारण बताए हैं और कई लोग मानते हैं कि कृषि में अस्थिरता का मूल कारण भूमि असमानता है. यह तर्क दिया जाता है कि खेती की व्यवस्था के तहत मकान मालिक-किरायेदार आदि द्वार बाद के सभी उत्पादन खर्चों को वहन किया जाता है और किरायेदारों में निवेश योग्य संसाधनों की कमी होती है जो कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं.

3. प्रभावी नीतियों का अभाव – भारत में कृषि से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए सरकारों द्वारा किए गए कई प्रयासों के बावजूद भारत में कोई सुसंगत कृषि नीति नहीं है.भारतीय कृषि में स्थिरता और उत्पादकता में वृद्धि के मुद्दे को लेकर एक सुसंगत कृषि नीति पर एक व्यापक समझौता की आवश्यकता है.

4. प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग का अभाव – जब खेती की बात आती है तो इस क्षेत्र के लिए भारत ने अपने प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित और विकसित नहीं किया है. मुख्य रूप से सिंचाई से संबंधित संसाधनों को संरक्षित करने के लिए बहुत कम प्रयास किया गया है. महाराष्ट्र और अन्य जगहों में प्रवास की कहानियों और गंभीर जल संकट से स्थिति की गंभीरता स्वतः स्पष्ट हो जाती है.

5. विमुद्रीकरण का प्रभाव – कृषि में तनाव की घटनाओं का दिखाई देने का मुख्य कारण विमुद्रीकरण है. इस वित्तीय वर्ष में कृषि उत्पादों में कमी आई थी. नकद कृषि क्षेत्र में लेनदेन का प्राथमिक तरीका है जो भारत के कुल उत्पादन में 15% योगदान देता है.




प्र .9 भारतीए अर्थ व्यवस्था मे कृषि के योगदान को स्पष्ट कीजिए ।

Ans – जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है। इसकी लगभग 55% जनसंख्या इस क्षेत्र में कार्यरत है। कृषि का भारतीय अर्थव्यस्था के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 14% योगदान है। लेकिन लगातार हमारी अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान घट रहा है। 1950 के दशक में हमारी अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 53% प्रतिशत होता था जो वर्तमान में करीब 14% रह गया है। देश में निर्यात के क्षेत्र में कृषि का 10% हिस्सा है। देश की 1.26 अरब आबादी की खाद्य सुरक्षा कृषि पर निर्भर है।

एक अंक वाले प्रशन :

प्र .11 भारत की दो पेय फसलों के नाम बताइए । ( 2016 )

Ans – चाय तथा कॉफी

प्र .12 हरित क्रान्ति की दो हानियां बताइए ।

Ans – 1 – आय की बढ़ती असमानता

2 – पूंजीवादी कृषि को बढ़ावा





प्र .13 भारत विश्व मे किन फसलो का सबसे बडा उत्पादक और उपभोक्ता है ।

Ans – भारत, दुनिया में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है. दलहन शब्द अक्सर दाल की फसलों के लिए प्रयोग मर लाया जाता है जैसे चना, अरहर, मूंग, मसूर, उड़द आदि.




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