नागरिकता संसोधन विधेयक (CAB) 2019
नागरिकता संसोधन विधेयक 2019
11 दिसंबर 2019 को संसद ने नागरिकता संसोधन विधेयक (CAB-Citizenship Amendment Act) को मंजूरी दे दी | राजसभा में विधेयक के पक्ष में 125 वोट मिले जब की विपक्ष में 99 वोट के साथ राजसभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया | लोकसभा में नागरिकता संसोधन विधेयक को 19 जुलाई 2016 को पेश किया गया था लेकिन 12 अगस्त 2016 को इसे सयुंक्त ससदीय समिति को सोप दिया गया था | समिति ने इस पर अपनी रिपोर्ट जनवरी 2019 में पेश किया जिसके बाद यह विधेयक दोबारा 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश किया गया जहाँ देर रात यह ध्वनि मत से पारित हो गया |
मुख्यतथ्य
* नागरिकता संसोधन विधेयक 2019 के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत आसपास के देशो से भारत में आने वाले हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगो को नागरिकता दी जाएगी |
* नए विद्येयक के अंतर्गत यह प्रावधान है की पडोसी देशो के अल्संख्यक यदि 5 साल से भारत में रह रहे है तो वे अब भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते है | पहले भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था |
* जो प्रवासी 31 दिसंबर 2014 से भारत में अवैध रूप से रह रहे है अब भारतीय नागरिकता हेतु आवेदन कर सकेंगे |
नागरिकता संसोधन विधेयक का इतिहास
भारतीय नागरिकता का उल्लेख भारतीय सविंधान के भाग 2 अनुछेद 5-11 तक में स्पष्ट रूप से किया गया है | भर में एकल नागरिकता का प्रावधान है | भारतीय नागरिकता अधनियम 1955 ई. के अनुसार निम्ननिलिखत में से किसी एक आधार पर नागरिकता प्राप्त की जा सकती है :-
(1) जन्म के आधार पर – जिसका जन्म सविधान लागु होने अर्थात 26 जनवरी, 1950 ई. को या उसके पश्चात भारत में हुआ हो , वह भारत का नागरिक होगा |
(2) वंश परम्परा द्वारा नागरिकता – भारत के बाहर किसी भी देश में जन्म लेने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक मन जायेगा, यदि उसके माता पिता में से कोई एक भर के नागरिक हो |
(3) माता की नागरिकता के आधार पर – विदेश में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नागरिकता प्रदान करने का प्रवधान नागरिकता संसोधन विधेयक 1992 ई. द्वारा किया गया है |
(4) देशीयकरण द्वारा नागरिकता – भारत सर्कार से देशीयकरण का प्रमाणपत्र प्राप्त कर भारत की नागरिकता प्राप्त की जा सकती है |
(5) पंजीकरण द्वारा नागरिकता :
(A) वह व्यक्ति , जो पंजीकरण प्राथनापत्र देने की तिथि से 6 माह पूर्व से भारत में रह रहा हो |
(B) वे भारतीय , जो अविभाज्य भारत से बहार किसी देश में निवास कर रहे हो |
(C) वे स्त्रियाँ जो भारीय पुरुषो से विवाह कर चुकी है |
(D) भारतीय नागरिको के नाबालिक बच्चे |
(E) राष्ट्रमंडलीय देशो के नागरिक , जो भारत में रहते हो या भारत सरकार की नौकरी कर रहे हो, आवेदन पत्र दे कर भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते है |
(6) भूमि विस्तार द्वारा – यदि किसी नए भूभाग को भारत में शामिल किया जाता है तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को स्वतः भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है |
भारतीय नागरिकता संसोधन अधिनियम 1986
अधिनियम 1986 के आधार पर भारतीय नागरिकता संसोधन अधिनियम 1955 में निम्नलिखित संसोधन किये गए :-
(1) भारत में जन्मे उस वयक्ति को नागरिकता प्रदान की जाएगी जिसके माता पिता में से एक भारत का नागरिक हो |
(2) जो व्यक्ति पंजीकरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त करना चाहते है उन्हें काम से काम 5 वर्षो तक भारत में निवास करना होगा |
(3) देशीयकरण द्वारा किसी व्यक्ति को नागरिकता तभी प्रदान की जाएगी जब कोई सम्बंधित व्यक्ति काम से काम 10 वर्षो तक भारत में रह चूका हो |
(4) भारतीय नागरिकता संसोधन अधिनियम 1986 जम्मू कश्मीर व असम सहित भारत के सभी राज्यों पर लागु किया गया |
भारतीय नागरिकता संसोधन विधयेक 2019 पे विवाद के कारण
भारतीय नागरिकता संसोधन विधयेक 2019 पे विवाद भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ जा कर इस विधेयक को बनाने पर है | जिसमे कई विद्वानों ने भारत के संविधान में मौजूद नागरिको के मूल अधिकारों के विरुद्ध इस विधेयक को माना है जो निम्नलिखित है :
* अनुच्छेद 14 ( समानता का अधिकार ) में कहागया है समानता का अधिकार के अंतर्गत राज्य सभी व्यक्तियों के लिए एक सामान कानून बनाएगा तथा उनपर एक सामान लागु करेगा |
* अनुच्छेद 15 में कहा गया है धर्म , नस्ल ,जाति , लिंग या जन्म स्थान के आधार पर नागरिको के प्रति जीवन के किसी भी क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जायेगा |
* अनुच्छेद 25 के अंतर्गत कहा गया है की कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मान सकता है और राज्य उसका प्रचार प्रसार कर सकता है |